सिख इतिहास में गुरु नानक देव जी के पहले सिख एवं साथी भाई मरदाना जी का नाम हीरे की तरह चमकता है। गुरु नानक देव जी की तरह मरदाना जी का नाम सिख धर्म में बहुत ही दब और श्रद्धा से लिया जाता है। गुरु नानक देव जी ने मनुष्यता की भलाई के लिए बहुत सी यात्राएं की, इस सफर में मरदाना जी भी उनके साथ थे। भाई जी का जन्म 6 फरवरी 1459 ई. को राय-भोय की तलवंडी, ननकाना साहिब में हुआ।इनके पिता जी का नाम मीर बादरे एवं माता जी का नाम लख्खो था ।
भाई मरदाना पहले सिख थे जो लंबे समय तक गुरु नानक देव जी के साथ रहे । इनका पहला नाम भाई दाना था आपकी माता जी ने छह बच्चों को जन्म दिया परवह होकर गुजर गये थे सातवीं संतान को बचाने के मकसद से इस बच्चे का नाम मर गया जाणा रखा गया गुरु नानक देव जी की उदासियों के समय आप उनके साथ उनके साथी, शिष्य बनकर चलते रहे हैं ।
आज भी आपके वंशज पाकिस्तान में मौजूद हैं । मरदाना जी को रबाब बजाने का हुनर विरासत में मिला था। गुरु नानक देव जी आपके हुनर पर मोहित थे। आपने सारी उम्र गुरू जी की सेवा में बतीत की जब भी गुरू नानक देव जी के मन में बाणी उदित होती तब तब वे कहते मरदानियां रबाब छेड़ बाणी आई हैं तब मरदाना जी की रबाब झकृत होती और गुरू जी के मुख से वाणी की वर्षा होती।
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मरदाना का सम्मान उन तक सीमित नहीं था ब्लकि उनकी पीढ़ियों तक चलता रहा गुरू अर्जुन देव जी के समय कीर्तन की सेवा निभाने वाले संख्या तथा रायबलबंड जी भी मरदाना जी के परिवार से संबंधित थे ।
आपने अंतिम समय में जब गुरु नानक देव जी से विदा लेनी चाही तो गुरु नानक देव जी ने गले लगाकर वचन किया भाई मरदाना अगर तुम कहो तो तुम्हारी समाधि बना दे उस समय Bhai Mardana Ji भाई मरदाना जी ने उतर दिया “बाबा, बड़ी मुश्किल से तो शरीर रूपी समाधि से बाहर आ रहा हूँ फिर पत्थरों की समाधि में डालना चाहते हो”
भाई मरदाना जी अपने अंतिम समय तक गुरू जी की परछाईं बनकर उनके साथ चलते रहे हैं इस तरह आप अकाल पुरख के बुलावे पे 12 नवम्बर सन्न 1534 को इस भौतिक संसार को अलविदा कह गये भाई मरदाना जी का अंतिम संस्कार गुरु नानक देव जी ने अपने हाथों से किया था भाई मरदाना जी का नाम सिख जगत में सदैव के लिए प्रकाशमय हो गया।
FAQ- QUESTION / ANSWER
Question- भाई मरदाना जी को रबाब किसने भेंट किया?
Answer- 2005 में, गुरमत संगीत चेयर के तत्कालीन प्रमुख डॉ. गुरनाम सिंह ने रबाब के आकार में कुछ बदलाव करके फिरंदिया रबाब के रूप में फिर से पेश किया था – इसका नाम भाई फिरंडा से लिया गया था, जिन्होंने सिख परंपराओं के अनुसार, रबाब को गुरु बाबा नानक को भेंट किया था। कीर्तन के लिए साथी भाई मरदाना।
Question- गुरु बाला और मरदाना जी कौन थे?
Answer- भाई बाला (पंजाबी: ਭਾਈ ਬਾਲਾ 1466-1544), तलवंडी राय भोई में एक संधू जाट परिवार (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब कहा जाता है) में पैदा हुए, भाई मर्दाना और गुरु नानक के बचपन के दोस्त और आजीवन साथी थे ।
Question- मरदाना कौन था वह हैरान क्यों हो गया?
Answer- मरदाना गुरु नानक के शिष्य थे। वह हैरान था क्योंकि वह समझ नहीं पा रहा था कि गुरु ने क्यों चाहा था कि बुरे लोग गांव में रहें और अच्छे लोग पूरे देश में फैल जाएं ।
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