Shri Guru Nanak Dev Ji – गुरु नानक देव जी (Important Knowledge)

shri guru nanak dev ji का जन्म अस्थाना
(Shri guru nanak dev ji Photo ) नानकाना साहिब, पाकिस्तान में गुरुद्वारा जनम अस्थाना उस जगह को याद करता है जहाँ guru ji का जन्म हुआ है

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गुरु नानक देव जीजीवन के बारे (Life Of Guru Nanak Ji)

गुरु नानक देव जी का जन्म एक मध्यमवर्गीय हिंदू परिवार में हुआ था और उनका पालन-पोषण उनके माता-पिता, मेहता कालू और माता तृप्ता ने किया था। उन्होंने बचपन का अधिकांश समय अपनी बड़ी बहन, बेबे नानकी जी के साथ बिताया, क्योंकि वह उनकी लाडली थीं। गुरु नानक देव जी बचपन से ही ईश्वर की भगती मे लीन रहते थे , और ईश्वर एक है के बारे जाप करते थे वो दुनिया के सभी पदार्थ का खंडन करते थे l जब नानक देव जी के पिता जी ने उनको स्कूल मे पङने के लिए भेजा तो गुरु नानक देव जी अपने अध्यापक से ईश्वर के बारे कुश ऐसे सवाल पूशे जिनका जवाब अध्यापक के पास वी नहीं था तो उनके अध्यापक ने गुरु नानक देव जी के पिता को इस बात के बारे में बताया और कहा कि जे बालक कोई आम बालक नहीं है , जे तो हर वक़्त ईश्वर मे ही लीन रहता है l

एक बच्चे के रूप में, गुरु नानक देव जी ने अपनी बुद्धि और दिव्य विषयों के प्रति अपनी रुचि के साथ कई को चकित कर दिया। अपने ‘उपनयन’ अनुष्ठान के लिए, उन्हें पवित्र धागा पहनने के लिए कहा गया, लेकिन गुरु नानक देव जी ने धागा पहनने से इनकार कर दिया। जब पुजारी ने उसे जोर दिया, तो एक युवा नानक ने आश्चर्यचकित होकर सभी से पूछा कि यह शब्द किस अर्थ में पवित्र है। वह चाहते थे कि धागा दया और संतोष से बना हो, और तीन पवित्र धागे को एक साथ रखने के लिए निरंतरता और सच्चाई चाहते थे। गुरु नानकदेव जी उन सभी चीजों का खंडन करते और यह कहते कि जिस कार्य में सच्चाई प्रेम दिया हो उसी को पहना और डालना चाहिए l

बेबे नानकी जी

गुरु नानक देव जी का अपनी बहन बेबे नानकी जी से बड़ा पियार था, उनके परिवार में केवल बेबे नानकी जी ही ऐसे थे जिनको मालूम था कि गुरु नानक देव जी ईश्वर का रूप है जो उनके घर में बालक के रूप में आऐ है l बेबे नानकी जी गुरु नानक देव जी के “प्रबुद्ध आत्मा” को सबसे पहिले पहचानने वालों में से थी l वह उनसे 5 साल बड़ी थी, लेकिन उनके लिए एक माँ की भूमिका निभाई थी। उन्होंने न केवल अपने पिता से गुरु नानक की रक्षा की, बल्कि वह उन्हें बिना शर्त प्यार करती थी। जब 1475 मे नानकी जी का विवाह हो जाता है तो गुरु जी बिलकुल अकेले रह जाते हैं जे दुख नानकी जी को सहन नहीं होता और वो गुरु जी को अपने साथ ले जाते हैं और गुरु नानक देव जी के जीजा जी जो दौलत खां के पास उच्च पद पर नोकरी करते थे गुरु जी को मोदी खाने (खाजाने भंडार) में नोकरी पर लगा देते हैं पर वहां वी गुरु नानक देव जी का मन नहीं लगता और वो जो वी लोग राशन के लिए आते उनको सब तेरा तेरा बोल कर बिन वजन करे राशन दे देते जिस से प्रजा तो बहोत प्रसन्न होती पर दौलत खां का सरकारी खजाना गिरावट वल जाना शुरू हो गया l जिसकी सीखाअयत दौलत खां के पास पहुंची तो जब खजाने का सब हिसाब किताब किया गया तो ना एक पैसा कम और ना एक पैसा ज्यादा था l इस बात को देख कर सभी चुकन्ने रह गए l

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श्री गुरु नानक देव जी की उदासीए (Udasian Guru Nanak Ji)

नानक देव जी ने 30 साल की उम्र में अपना घर बार छोड़ दिया और मानव जाति के जीवन को सुधारने के लिए, लोगों को अंधविश्वास की दुनिया से बाहर निकालने के लिए, एक ईश्वर की अराधना और एक ही ईश्वर मे विश्वाश रखने के लिए उदासीए पर निकल गए l अपनी पहली यात्रा शुरू करने से पहले, गुरु नानक देव जी अपने माता-पिता से मिलने गए थे ताकि उन्हें उनकी यात्रा का महत्व समझा सकें।

नानक देव जी की उदासीए

प्रथम उदासी: (1500-1506 ई।)

यह यात्रा सात वर्षों तक चली और इन क्षेत्रों को कवर कि: सुल्तानपुर, तुलम्बा (आधुनिक मखदुमपुर, जिला मुल्तान), पानीपत, दिल्ली, बनारस (वाराणसी), नानकमत्ता (नैनीताल, यूपी), टांडा वंजारा(जिला रामपुर),कामरूप (असम), आसा देश (असम), दपुर(आधुनिक अमीनाबाद, पाकिस्तान), पसरूर (पाकिस्तान), सियालकोट(पाकिस्तान)। इस समें गुरु नानक देव जी की आयु 31-37 थी।

दूसरी उदासी: (1506-1513 AD ई।)

यह यात्रा लगभग सात वर्षों तक चली और इन क्षेत्रों को कवर किया: धनसारी घाटी, सांगलादीप (सीलोन)। इस समें गुरु नानक देव जी 37-44 की उम्र के थे

तीसरी उदासी: (1514-1518 ई।)

यह यात्रा लगभग 5 वर्षों तक चली और इन क्षेत्रों को कवर किया: कश्मीर, सुमेर परबत, नेपाल, ताशकंद, सिक्किम, तिब्बत l इस समें गुरु नानक देव जी 45-49 की उम्र के थे l

चौथी उदासी: (1519-1521 ई।)

यह यात्रा लगभग 3 वर्षों तक चली और इन कस्बों और क्षेत्रों को कवर किया गया: मक्का और अरब देश।

पांचवीं उदासी: (1523-1524 ई।)

यह यात्रा लगभग २ वर्ष तक चली और इन कस्बों और क्षेत्रों को कवर किया: पंजाब के भीतर के स्थान।

नानक जी का जोति जोत समाना (Joti Jot Guru Nanak Dev Ji)

55 साल की उम्र में, नानक करतारपुर में बस गए, सितंबर 1539 में जोति जोत समान तक वहाँ रहे। इस अवधि के दौरान, वे अचल के नाथ योगी केंद्र, और पाकपट्टन और मुल्तान के सूफी केंद्रों की छोटी यात्रा पर गए। अपने अंतिम समय तक, नानक जी ने पंजाब क्षेत्र में कई अनुयायियों का अधिग्रहण कर लिया था, हालांकि वर्तमान ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर उनकी संख्या का अनुमान लगाना कठिन है। अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, गुरु नानक हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए थे। वे दोनों नानक जी को अपना होने का दावा करते थे किंवदंती के अनुसार, जब गुरु नानक देव जी ने अपने अंतिमदिनों में संपर्क किया, तो हिंदू, मुस्लिम और सिखों के बीच एक बहस छिड़ गई कि अंतिम संस्कार करने के लिए किसे सम्मान दिया जाना चाहिए।

भाई लेहना

shri guru nanak dev जी ने भाई लेहना को उत्तराधिकारी गुरु के रूप में नियुक्त किया, उनका नाम बदलकर गुरु अंगद रख दिया, जिसका अर्थ है “किसी का अपना” या “आप का हिस्सा”। उन्होंने हिंदुओं और सिखों को अपने शरीर के दाहिनी ओर और मुसलमानों को बाईं ओर अपने फूल रखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार करने का सम्मान उस पार्टी को जाता है जिसके फूल रात भर ताजे रहते हैं। जब गुरु नानक देव जी ने 22 सितंबर 1539 को करतारपुर में 70 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली, तो धार्मिक समुदायों ने उनके निर्देशों का पालन किया। जब वे अगली सुबह वापस आए, जिनके फूल ताजे बने हुए थे, तो वे यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि कोई भी फूल मुरझा नहीं गया था, लेकिनसबसे बड़ा आश्चर्य यह था कि गुरु नानक के नश्वर अवशेष गायब हो गए थे और वे सभी उनके शरीर के स्थान पर देख सकते थे ताज़ा फूल। ऐसा कहा जाता है कि हिंदुओं और सिखों ने अपने फूलों को उठाया और दफन कर दिया, जबकि मुसलमानों ने अपने फूलों के साथ ऐसा ही किया।

गुरुद्वारा जहाँ shri guru nanak dev ji जोति जोत सामाये थेगुरुद्वारा दरबार साहिब करतार पुर, नरोवाल में, पाकिस्तान उस स्थान को चिन्हित करता है जहाँ shri guru nanak dev ji जोति जोत सामाये थे l


FAQ- Question / Answer

Question- गुरु नानक देव जी का जनम कब हुआ ?
Answer- 15 April 1469

Question-गुरु नानक देव जी ने क्या कहा?
Answer-

  • ईश्वर एक है।
  • सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
  • जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है।
  • सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
  • ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति करना चाहिए।
  • बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
  • सदा प्रसन्न रहना चाहिए।

Question- सिख धर्म में भगवान कौन है?
Answer- सिखों द्वारा भगवान के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला नाम वाहेगुरु है, जिसका अर्थ है ‘चमत्कारिक ज्ञानवर्धक’।सिख मानते हैं कि केवल एक ही ईश्वर है, जिसने सब कुछ बनाया है। उनका मानना ​​है कि वाहेगुरु को हमेशा दिमाग में रहना चाहिए।

Question- सरदार कौन से धर्म में आते हैं?
Answer- “सिखोंको सरदार कहा जाता है

Question- What is Guru Nanak most famous for?
Answer- Guru Nanak (1469-1539) wasone of the greatest religious innovators of all time and the founder of the Sikh religion.

Question- Why Guru Nanak Jayanti is celebrated?
Answer- Guru Nanak Jayanti or Guru Nanak Gurpurab is celebratedto mark the birth anniversary of the first Sikh Guru, Guru Nanak Dev. This year, the festival is being observed on November 8, Tuesday. This year marks the 553rd birth anniversary of Guru Nanak Dev, who laid the foundation of Sikhism.

Question- guru nanak dev ji birthday ?
Answer-
15 April 1469

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